Wel Come
BornBabyName.com
Best Name for Your Baby
“Warmest congratulations on the birth of your sweet baby!”
First of all ,This website is made for only provide you best baby name for your baby. because Our Promise to you we give you best name for your lovely baby According to yur Choices, Your Regions, Your Feelings, Your Dreams, Your Locations, your Religions even you want. In this site Only and Only show you best most popular famous name show.
We Classified all best baby name Hindu, Muslim, Sikh etc Religion. similarly other many website give you many more Names as a result you will frustrate. almost We solve your this problem only selected name no Garbage. so, let’s go start find name for your lovely baby.
ज्ञातव्य है कि आजकल लोगों के रहन-सहन में व्यापक परिवर्तन हुआ है फलतः वे अपने बच्चों के नाम भी अपनी पसन्द अनुसार रखना चाहते हैं । शिशु के जन्म से पहले ही नाम की कल्पना शुरू हो जाती है। अधिकतर बच्चों के प्यार के नाम तो बच्चों के जन्म से पहले ही सोच लिए जाते हैं । यह इसलिए भी सम्भव है कि इन नामों में जन्म-समय, राशि आदि की ज़रूरत नहीं होती परन्तु कुछेक प्यार के नाम जन्म के समय की परिस्थितियों के अनुसार भी रख लिए जाते हैं जैसे चांदनी रात में जन्मी बच्ची का नाम चांदनी या प्रतीक्षा करने के बाद पैदा हुए लड़के का नाम अभिनन्दन, गिफ्टी आदि ।
इसी तरह खुश रहने वाले बच्चे का नाम हैप्पी, भाग्यशाली होने की कल्पना में गौरव एवं धनवान होने की चाह में मनी आदि । कई बार बड़े होने पर यह बचपन का नाम साथ जुड़ा रहता है जैसे अरुण शर्मा पप्पु, देवेन्द्र बब्बू, अजय कौशल हैप्पी आदि। नामकरण की विधि : प्रत्येक धर्म में नाम रखने का अलग ढंग है। पुराने विचारों वाले लोग धार्मिक महत्त्व से नामकरण को जोड़ते हैं । इच्छा अनुसार या धर्म अनुसार उस दिन हवन-यज्ञ,सत्संग, गुरु ग्रन्थ साहिब का पाठ या सुखमनी साहिब का पाठ, जागरण आदि करवा कर नामकरण भी धार्मिक प्रमुख रखते हैं। आइए विचार करें कि, धार्मिक मर्यादा के अनुसार प्रमुख धर्मों में नाम कैसे रखे जाते हैं।
हिन्दुओं में नाम रखने की विधि-ग्रह, नक्षत्र, जन्म के समय आकाशीय गणना के अनुसार नामकरण की राशि निकाल कर पहला अक्षर दे देना हिन्दू धर्म में प्रचलित है फिर उस राशि का नाम परिवार वाले स्वयं रखते हैं।
राशि के अनुसार इन मूल अक्षरों का विभाजन इस प्रकार है :-
सिख धर्म के अनुसार नाम रखने की विधि–सिख सदैव व्यवहार या रहन–सहन में गुरु ग्रन्थ साहिब का मार्गदर्शन लेकर या सहारा लेकर चलता है। वह सब कार्यों की तरह नामकरण संस्कार के लिए भी गुरु ग्रन्थ साहिब जी के सहज पाठ,साप्ताहिक पाठ या अखण्ड पाठ का आयोजन करता है । कीर्तन की समाप्ति पर आनन्द साहिब‘ की पांच पौड़ियों तथा अन्तिम चालीसवीं पौड़ी का पाठ करके और जपुजी साहिब के अन्तिम श्लोक का पाठ करके भोग डाला जाता है । बच्चे के जन्म की खुशी में अरदास (प्रार्थना) की जाती है । नाम की भिक्षा मांगी जाती है।
इसके साथ ही बच्चे की लम्बी आयु, पूर्ण गुरु–सिख मर्यादा का पालन करने तथा माता–पिता का आज्ञाकारी होने की प्रार्थना की जाती है । जयकारा लगाकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब का हुक्मनामा लिया जाता है बायें हाथ के पृष्ठ का ऊपर का शब्द ही आज का हुक्मनामा है । यदि शब्द पिछले पृष्ठ से शुरू हो तो एक पृष्ठ पीछे जाकर शब्द का पाठ करना चाहिए। हुक्मनामे के शब्द का पहला अक्षर ही बच्चे को गुरु महाराज से प्राप्त हुआ माना जाता है । उसी अक्षर पर नाम उसी समय सोच कर सारी संगत में सुनाना होता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हजूरी में एकत्रित साध–संगत से मंजूरी लेकर जयकारा लगाया जाता है। बाद में कड़ाह–प्रसाद आदि एवं फिर लंगर आदि का प्रबन्ध किया जाता है| साधारणतया लड़के के नाम के पीछे सिंह तथा लड़की के नाम के पीछे कौर लगाने का रिवाज़ है।
मुसलमानों में नाम रखने का ढंग–अधिकतर घरों में पसंदीदा नाम रख कर मुहल्ले में निमाज़ (प्रसाद) बांट दिया जाता है। परन्तु बड़े पैमाने पर नाम रखने के लिए मौलवी को बुला कर पवित्र कुरान को बन्द करके पृष्ठ निकाला जाता है एवं पहले अक्षर से नाम रखा जाता है एवं पार्टी दी जाती है।
अन्त में, मैं जिज्ञासु पाठकों की सेवा में एक निवेदन ज़रूर करना चाहता हूँ कि: . क्योंकि जीवन में नाम एक बार ही रखा जाता है। अतः कोशिश करें कि नाम कर्णप्रिय,नवीन एवं सबकी सहमति से रखा जाए। नाम ऐसा हो जिससे बच्चा बड़ा होकर अपने नाम पर गर्व कर सके। नाम में स्त्री–पुरुष का भेद स्पष्ट दृष्टिगोचर होता हो। नाम रखते समय उसके प्राचीन महत्त्व,उसके नाम वाले मनुष्य के कार्य देखकर ही नाम रखें। अर्थ भी यदि देख–समझ लिया जाए तो नाम के सौन्दर्य को चार चांद लग जाते हैं।एक बात और !
अधिक ही प्रेमवश या बच्चे के पर्याप्त विकास के न होने से विशेषकर बुजुर्गों को ‘बुद्ध‘, ‘लल्लू‘, ‘लाटू‘, ‘ठलू‘, ‘रुलदू‘, ‘काला‘, ‘गोरा‘ आदि नाम रखने का शौक होता है,जो अच्छा नहीं। कई बार वे अधिकार जताने की इच्छा से ऐसा करना अपना हक समझते हैं। ऐसी बातों को परिवार के सदस्यों को आपसी समझ–बूझ से शुरू में ही त्याग देना चाहिए नहीं तो ये नाम बच्चे में हीन–भावना ले आते हैं एवं वह मित्र–मण्डली में हंसी का पात्र बन जाता है। __ आपके बच्चे की सुखद भविष्य की कामना करते हुए मेरी यह प्रार्थना है कि उसका जीवन सार्थक बने एवं जिस सुन्दर कल्पना को लेकर आपने उसका नाम रखा है वह उस पर पूरा उतरे एवं अपने मां–बाप के यश व कीर्ति को बढ़ाने : वाला हो।